आसमान में सूरज की गर्मी थपेड़े मार रही थी चारो तरफ लू और लाल अंधी सी चल रही थी, जो हाईवे हमेशा ट्रकों से भरा रहता था आज न जाने क्यों सुनसान पड़ा था। मैंने ऐसा मंज़र कभी नही देखा था दूर-दूर तक कोई इंसान नही, कोई जानवर नही बस एक ही चीज़ बेहद गरम और तपती हवा की सरसराहट जो हर बीत रहे पल के साथ डरावनी होती जा रही थी। 

मैंने अपनी बाइक स्टार्ट करी और सब से पहले घर की तरफ बढ़ा, रास्ते भर इधर-उधर देखता रहा लेकिन कही कुछ नही था आखिरकार सब लोग गए-तो-गए कहाँ? रास्तो पे बने बड़े काले धब्बे और डरा रहे थे, दुकाने खुली पड़ी थी पर वहाँ कोई था नही रास्ते पर बाइकें-कार और बाकी गाड़ियां धूल से सनी खड़ी थी कुछ के तो इंजन भी स्टार्ट थे, मै जैसे-तैसे घर पहुंचा, गेट खटखटाया चिल्ला-चिल्ला के माँ, भाई, पापा सबको बुलाया पर किसी ने दरवाजा नही खोला। मेरे पास और कोई चारा नही था, रास्ते पे पड़े पत्थरों से मैने घर के दरवाजे में छेद कर दिया और अंदर जाकर देखा तो पाया कोई था ही नही। अब अंदर-ही-अंदर मैं डर से भरा जा रहा था मुझे जानना था कि यहाँ आखिर हुआ क्या था, लोग कहाँ गए, क्या मैं ही अब अकेला बचा हूं?


10 मिनट तक चीखती खामोशी के बीच दिमाग ने सारे बुरे ख़्याल सोच लिए थे, लेकिन तभी एक जीप के हॉर्न से ये खामोशी टूट गयी, मैं छत से देखने बढ़ा तो पाया एक काली जीप गली के मोड़ से आ रही थी जिसपे कमांडो ड्रेस में 5 लोग सवार थे। मैं घर से बाहर आया क्योंकि गेट पे बने छेद और साफ खड़ी bike देख के वे भी रुक गए थे।


"अभी तक शेल्टर क्यों नही पहुंचा… मरने का ज्यादा शौक चढ़ा हो तो बता, यही मार दूँ तुझे" मुझे देखते ही आगे बैठा कमांडों तेज़ और बुलंद आवाज़ के साथ बोला। में ये फटकार सुन हड़बड़ा सा गया लेकिन धीरज रखते हुए मैंने माफी मांगी और कहा "मेरी बहुत ज़रूरी चीज़ घर पे रह गई थी में उसके बिना कही नही जा सकता था प्लीज मुझे माफ करियेगा 🙏 और क्या आप मुझे दुबारा शेल्टर पहुंचा सकते है में रास्ता भूल चुका हूँ Please…."।


"अजीब पागल हो यार, जान से ज्यादा क्या ज़रूरी पढ़ गया तुम्हे, अच्छा चल बैठ-बैठ पीछे, खिसक जाओ-भाई.." उनका वही चीफ अनमने ढंग से मुझे देखते हुए बोला।


उनमे से एक ने मुझसे मेरा id प्रूफ मांगा, इधर-उधर हाथ जेबों मे घूमाने पर मुझे मेरा आधार मिल गया जो दिखा कर में चुप-चाप पीछे बैठ गया। गाड़ी चल चुकी थी, सन्नाटे से ढकी रोड मे इंजन की आवाज़ कुछ अलग ही सुनाई पड़ रही थी मुझे नही पता था कि यहा क्या चल रहा है लेकिन ये शेल्टर क्यों बनाये गए, कमांडो फोर्स क्यों बुलाई गई है और लोग घरो से हटा के शेल्टर पे क्यों शिफ्ट किये गये? इन सब सवालो के जवाब में कोई सामान्य स्थिति तो नज़र नही आती थी 


आधे घण्टे से ज्यादा समय बीत गया गाड़ी अपनी पूरी रफ्तार से चल रही थी और कुछ पल बाद शहर के सबसे बड़े पार्क के पास पहुंच कर रुकी, सामने बैरिकेटिंग लगी थी जहाँ कुछ 15-20 पुलिस वाले और हज़ारो पुलिस जीप कतार में खड़ी थी, एक कमांडो मुझे जीप से उतार कर आगे ले गया और बोला "प्रोटोकॉल R8-57" जिसे सुन्नकर पुलिस वाला सलूट के साथ बोला "जी सर ! ! "


फिर उसने मेरे हाथ मे एक बैंड पहना कर उसे लॉक कर दिया जिस पर R8-2057 लिखा हुआ था, metal detector से मुझे scan करने के बाद उसने मुझे अपने पीछे आने को कहा वो आगे-आगे चल रहे थे और मै उन्हें पीछे-पीछे follow करता गया 6 पुलिस जीप को पार करने के बाद सातवे जीप के पास वो रुक गए।


फिर जो मैने देखा वो मैने बिल्कुल भी नही सोचा था उन्होंने पार्क की दीवार से सटे फुटपाथ के एक पत्थर को उठाया जिसके नीचे नंबर पैड था उसमे कोई कोड लिखने पर फुटपाथ की बीच एक गेट उभर आया जो मेनहोल की तरह जमीन पर लगा था उन्होंने उसे खींच कर खोला और मुझे अंदर जाने को कहा, वो जगह अंदर से गुफा की तरह थी जो सीढ़ियों के सहारे और गहराइयों में ले जा रही थी।


खैर मै जैसे-जैसे सीढ़ियों से नीचे जाता जा रहा था वैसे-वैसे अंधेरा और आवाजों का शोरगुल बढ़ता जा रहा था लोगो की डरी सहमी फुसफुसाती आवाजे आ रही थी। नीचे पहुंचा तो पाया यहां हजारो की भीड़ थी लोग अपने-अपने गुट बनाके अपनी - आपनी कह रहे थे


ये जगह एक छोटे अंडरग्राउंड स्टेडियम जैसी थी जिसकी मजबूती को लोहे की दीवारों और बेहद चौड़े खंबो से बढ़ाया गया था।


मैं जैसे ही अंदर पहुंचा दीवार से टेक लिए एक मोटा आदमी अचानक कूद के मेरे सामने आ खड़ा हुआ और सवाल-पर-सवाल पूछने लगा- 


"बाहर का माहोल कैसा है? 

क्या जंग शुरू हो गई,

दूसरे राज्यों के बारे में कुछ जानकारी?

अच्छा जो प्रेसिडेंट के बारे में सुनने को मिल रहा क्या वो सच है? 

अच्छा वो छोड़ो, कहां गिरेगा वो?

क्या हमारे देश पे भी गिरेगा?

कुछ बोलते क्यों नही, बोलो, तुम अभी बाहर से आए हो न, बोलो!!!"


अब मैं सोच में पड़ गया कि मैं इसे क्या जवाब दूं, क्या मैं इसे बता दूं कि मुझे कुछ भी नही पता, या फिर कुछ न बोलूं, वैसे इसने जंग कि बात की कोई जंग होने वाली है, आखिर किसके साथ , कुछ न समझ आने पर मैने उसको साफ साफ कह दिया -


"मुझे कुछ नही पता, माफ करना लेकिन मुझे सच में कुछ नही पता, यहां चल क्या रहा है हम सब यहां बंद क्यों है? तुम ही बता दो कि आखिर यहां हुआ क्या?"


वो मेरी ये बात सुन के सन्न रह गया और चिल्लाते हुए बोला "क्या तुम पागल हो चुके हो!! या डर के मारे तुम्हारी याददाश चली गई, पूरी मानवजाति खत्म होने की कगार पे है और तुम पूछते हो, क्या हुआ!!"


अब मुझे कुछ-कुछ समझ आने सा लगा था कि यहां क्या चल रहा है पर तभी अचानक मेरी नजर ऐसी जगह पड़ी जिससे मेरे शरीर में सनसनी दौड़ गई उस जगह किनारे एक कोने में दो लोग लड़ रहे थे जिसमे से एक मेरा बड़ा भाई था। 


मै भागते हुए गया और लड़ाई रुकवाई पर जान के यह हैरानी हुई की लड़ाई का कारण सिर्फ एक पानी की बोतल थी, वो दूसरा आदमी पानी चुरा रहा था जिसे मेरे भाई की मार झेलनी पड़ी। मुझे भी, क्योंकि उनके हिसाब से मैं 3 दिन से घर नही लौटा था और आज जाकर उन्हें दिखा, थोड़ी देर की डॉट के बाद उन्होंने ये भी बताया कि माँ और पापा दूसरे शेल्टर में है, ये जानकर जान में जान आई और मुंह से निकल गया "चलो हम सब जिंदा है" 


फिर मेरा भाई एकदम से मुझे अजीब नज़रों से घूरने लगा और बोला "सच में?"


एक जोरदार भूकंप और पूरे स्टेडियम की छत गिर गई और सामने लिख के आया 


----MISSION FAILED----


मैने अपना VR headset उतारा और चारो तरफ देखा सारे के सारे गेमिंग सिस्टम बंद हो चुके थे लोग भाग रहे थे Mall का Gaming section पूरा खाली हो गया था कांच की दीवार से बाहर सड़क पर अफरा तफरी मची थी और आसमान से बहुत सारे भयानक बड़े लाल Meteorite बस गिरने ही वाले थे।


Fin

2 Comments

  1. I've never came across such an extraordinary story. It is soo full of thriller and mystery. Liked it a lot. A great piece of work, friend. Can't wait for the second part.

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  2. I've never came across such an extraordinary story. It is soo full of thriller and mystery. Liked it a lot. A great piece of work, friend. Can't wait for the second part.

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