हमारा भारत केवल आध्यात्मिक देश ही नही है बल्कि भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर आद्यात्मिकता को विज्ञान से सम्बद्ध किया जाता है भारत के कई महापुरुषों ने इसे proof भी किया है।
आज हम बात करेंगे Indian Spiritual Guru स्वामी विवेकानंद जी के बारे में। जिन्होंने Globle lavel पे इसे साबित भी कर के दिखाया । वर्ल्ड फेमस जमशेद जी टाटा और निकोला टेसला जैसे विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक भी स्वामीजी से सलाह लेते थे। स्वामी जी math में कम intrest लेते, लेकिन एक आध्यात्मिक गुरु होने के बावजूद भी स्वामी जी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचते थे। उनका मानना था कि अध्यात्म और विज्ञान दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
क्या आप जानते हैं स्वामी जी ने ऐसा क्या काम किया जिससे उन्हें एक धार्मिक नेता नहीं बल्कि साइंस का प्रवक्ता माना जाता है। स्वामी जी एक youth icon के रूप में जाने जाते है जिन्होंने ने संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रसार किया और कई सार्वजनिक और निजी व्याख्यानों का आयोजन किया।
स्वामी जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ, इस दिन को हम राष्ट्रीय युवा दिवस के नाम से जानते है। बचपन में स्वामी जी को ना ही गणित पसंद थी और ना ही धार्मिकता की बातें, लेकिन इसके बावजूद भी स्वामी जी विज्ञान और आध्यात्मिकता में बहुत ज्यादा विश्वास रखते थे। वो विज्ञान और आध्यात्मिकता को एक साथ जोड़ते थे। उनका मानना था कि विज्ञान आध्यात्मिकता के बिना अधूरा है। जब वे गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस जी से मिले तब उन्होंने वैदिक शास्त्रों का अध्ययन किया। वेदों का अध्ययन करने से उन्हें यह महसूस हुआ कि वेदों में कई ऐसे राज हैं जिन्हें दुनिया तक पहुंचाया जाना बहुत आवश्यक है।
हम बात करते हैं 19वीं शताब्दी के आखिरी 10 सालों की जब भारत को सिर्फ ब्रिटिश कॉलोनी के नाम से जाना जाता था। हम भारतीय अंग्रेजों के गुलाम थे। भारत का प्रत्येक नागरिक अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। वैश्विक स्तर में भारत की यह पहचान बन चुकी थी कि भारत एक संतों का देश नहीं गुलामों का देश है उस वक्त स्वामी जी ने भारत के आध्यात्मिक ज्ञान को वैश्विक स्तर में पहुंचाने का प्रयास किया। 11 सितम्बर 1893 में शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन के मंच में अपने द्वारा दिए गए भाषण में उन्होंने यह सिद्ध भी कर दिया कि भारत गुरुओ और ज्ञानियों का देश है, साँप और सपेरों का नही।
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