सबसे पहले मेरी तरफ से बड़ा सा नमस्ते 🙏 और इस ब्लॉग को Open करने के लिए धन्यवाद 😊। ये कहानी पूरी तरह से मेरी कल्पना है, तो अपना दिमाग लगाने और खुद या किसी और को इस कहानी से जबरदस्ती relate करने की आवश्यकता नही है। 🤗
चलिए शुरू करते हैं…
Dr. सूर्यकांत माधव माहेश्वरी,
नाम से ये आपको किसी बढ़े डिपार्टमेंट के head लगते होंगे but ये 20 साल का लौंडा है जिसका 2 महीने पहले दिल्ली के एक मेडिकल कॉलेज में पैसे खिला के admisssion हुआ है। 😂
So.. admission तो हो गया, लेकिन अब आगे क्या?
जिस लड़के को शरीर में मौजूद हड्डियों की गिनती न पता हो वो डॉक्टर तो बनने से रहा। पर समेस्टर तो निकालने पड़ेंगे, नंबर भी लाने पड़ेंगे क्यूंकि अगर फेल हुए या पढ़ाई छोड़ी तो पापा से पिटाई + बेज्जती + जायदात से बेदखल + रिया के सामने इज्जत का फालूदा,
(अब ये रिया कौन है??)
रिया है इनकी पड़ोसी और इनका turu lubb😍😍।
वो कर रही थी NEET की पढ़ाई,
इनको भी वोही सनक चढ़ आई,
साथ में जाते coaching सुबह, शाम और रात,
उसका लगता था मन पढ़ने में उसकी बन गयी बात,
उसका admission तो हो गया AIM's मे
इनको मिला न दिल्ली न किसी state मे
पिताजी ने झोंकी जान लगाया अपना पैसा,
देखते हैं पुत्र देगा उन्हें result कैसा।
तो यहाँ से मेन बात शुरू होती है
सबसे पहले सूर्यकान्त माधव माहेश्वरी ने कॉलेज पहुंच के अपने ऐतिहासिक नाम में कुछ फेर बदल किये और अपना nick नाम प्रस्तुत किया सैम, जो कि सीनियर्स को इतना पसन्द आया कि उन्होंने उसे बदल के तुरंत सुररररी कर दिया, अब पूरे कैंपस में वो इसी नाम से प्रचलित हैं। तो सुररररी की शुरुआत बेहद कठिनाइयों भरी रही, क्योंकि एक तो उसे कुछ पल्ले नही पड़ रहा था, रिया से बिछड़ने का दुख तो था ही, उप्पर से नाम के कारण ली जाने वाली मौज। पर धीरे-धीरे उसने अपना साहस बांधना शुरू किया , उसने अपने besics मजबूत करना शुरू किए और पढ़ाई में लीचड़ से average बन गया और कुछ नए सहपाठी भी मिले। जो यदा-कदा ज़रूरत पड़ने पर उसकी मदद कर देते थे, ऐसे है दिन कटने शुरू हुए और कुछ महीने बीत गए। अब रिया के साथ बैठ के मरीजों के पर्चे पर paracetamol लिखने के सुनहरे सपने तो कब के खतम हो ही चुके थे, पर बात अभी-भी बंद नही हुई थी, हफ्ते में एक-आध बार जब भी वो फ्री होती थी तो इनकी बात हो जाती थी, अब हुआ कुछ यूं कि रिया को उसी के कालेज में एक लड़का(छितिज कोठारी) पसंद आ गया , ये बात मित्र समझके रिया ने सुररररी को भी बताई उर्फ सैम को , फोन पे तो कुछ नही कहा, लेकिन सुररररी ये बात बर्दाश्त नही कर सका और उस दिन उसने पहली बार पूरे 2 ढक्कन रंगीन पानी पी डाला 🙄🙄🤣🤣। भाई… साहब!! जो गन्दी एक्टिंग की है न इसने नशेड़ी होने की😂
अब उसने रिया को अपने दिमाग से full on टाटा bye-bye कर दिया था, वो जानता था दाल नही गलेगी, कॉलेज में उसका एक दोस्त भी बना जिसका नाम था सरफराज गौतम (i know अजीब नाम है, मम्मी मुस्लिम पाप हिन्दू है इसके, इस वजह से)। इन दोनों की बढ़िया जमने लगी थी, होस्टल रूम भी same करवालिया। मम्मी मान नही रही थी पहले डर था कि कहीं मास-माछी न खिलवा दे हमारे लड़के को पर जब जाना सरफराज vegetarian है, तब शांत हुईं। सब सही जा रहा था, फेल भी नही हो रहे थे कामचलाऊ 😁 मार्क्स और गुरु जी की अनुकम्पा से।
2 महीने और बीत गए..
एक रात सैम अपने होस्टल रूम में शांति से बैठा पढ़ रहा था कि तभी उसका फोन बज उठा, unknown number था, उसने नही उठाया, पर जब दुबारा कॉल आई तो उसने pick कर लिया।
सैम - हेलो कौन?
दूसरी तरफ - (हांफती हड़बड़ाती आवाज़ में) जितनी जल्दी हो सके नोएडा सिटी हॉस्पिटल पहुँचो तुम्हारे पिता का accident हुआ है, एक ट्रक वाले ने उनकी कार को टक्कर मार दी बेटा।
और कॉल कट हो जाता है।
(समय न तो अच्छा है न ही बुरा, वो बस बदलाव का साथी है)
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