( Nihilism word Latin भाषा के nihil से लिया गया है जिसका आमतौर पर मतलब होता है nothing या nothingness. )
ये एक ऐसी मनोवैज्ञानिक मान्यता है जो कहती है कि दुनिया, ब्रम्हांड, लोग का जीवन इन सब का कोई meaning नही है, कोई अर्थ नही है। हम बस बिना किसी कारण या भाग्यवश इस दुनिया मे इंसान का रूप ले के आ जाते हैं और अपनी life को justify करने के लिए उसे किसी purpose या खुद के बनाये believes से जोड़ लेते है जिसका कोई actual logic नहीं होता।
ज्यादातर cases में एक इंसान अपने साथ हुई किसी बहुत बुरी घटना के कारण अपने किसी believe पर से भरोसा खो देता है जो कि उसे अपने बाकी believes पर भी question करने पर मजबूर कर देता है यानी इसका मतलब जिन pillars पे उसने अपनी लाइफ को टिकाया हुआ था उसका एक pillar ढह जाने पर उसे पता लगता है बाकी pillar भी शुरू से कोई ज्यादा मजबूत नही थे, एसे ही situation's के कारण उसका भरोसा पूरे belief system से ही उठ जाता है और वो एक nihilist बन जाता है ये एक निराशावादी व्यक्ति का ही एक दूसरा स्वरूप है जिसकी अपनी खुद की दूसरो से अलग मान्यताये होती है।
वैसे तो ये term बहुत पुराना है but philosophers के बीच ये शब्द और इसका mean 19th century में ज्यादा उभर के देखने को सामने मिलता है जब German फिलॉस्फर Friedrich Nietzsche ने nihilism को अपनी book The Will To Power में mention किया था।
बहुत से philosophers ने nihilism को अपने-अपने तरीके से समझा और समझाया है जिसके वजह से nihilism की कुछ sub-roots भी create हुई जो कि अलग-अलग पॉइंट ऑफ व्यू से nihilism को explain करती है।
Cosmic Nihilism
इसमे nihilist मान बैठता है कि God या उसके जैसी कोई divine चीज़ नही होती, ये सब हमारे दिमाग की उपज है। वो मानता है कि universe एक infinite रियलिटी या loop है जिसमे इंसान बस एक छोटा unimportant पार्ट है जिसका होना-न-होना सब बराबर है। इसके अलावा एक cosmic निहाइलिस्ट ये भी मानता है कि nature मैं कोई intelligence या कोई वैल्यू नही है और वो इंसान की प्रॉब्लमस को नही समझ सकती वो पूरी तरह से अनजान है।
Moral Nihilism
इसे Ethical Nihilism भी कहा जाता है, इसमे एक इंसान मानता है कि जो moral और ethical वैल्यूज हमे बचपन से सिखाई जाती है वो हमारे माइंड के बाहर exist नही करती यानी कुछ अच्छा या बुरा नही होता कोई काम दूसरे काम से अच्छा नही होता क्योंकि ये सब human concepts and believes है। इसमे निहाइलिस्ट की नज़र में किसी को मारना या न मारना, बुरा है या सही ये सिर्फ दिमाग के अंदर है की सोच है इसके अलावा बाहर इसका कोई मतलब नही बनता। ऐसा एक moral निहाइलिस्ट का सोचना है।
Epistemological Nihilism
इसमे निहाइलिस्ट मानता है कि knowledge जैसी कोई चीज़ नही होती और हम किसी भी चीज़ को पक्के तौर पर नही बोल सकते कि वो सच है। उसे हर चीज़, जो उसको कोई प्रूफ नही कर सकता या जो चीज़ सिर्फ knowledge पे बेस्ड है virtually exist नही करती, उसे वो बेतुकी करार देगा। for example जैसे मरने के बाद after life, पुनर्जन्म होता है या नही? कोई normal व्यक्ति ये जवाब देगा कि हो भी सकता है या नही भी हो सकता या कहेगा सच क्या है ये कोई जान नही सकता लेकिन उस व्यक्ति को इस बात के होने न होने का संशय तो रहेगा ही परन्तु एक epistemological nihilist इस सवाल को ही senseless बोल देगा।
Existential Nihilism
ये काफी common nihilism है ये उप्पर बताये गए तीन nihilism का मिक्सचर भी कहा जा सकता है जहां बाकी के nihilist सिर्फ लाइफ के उन पार्टस से meaning को हटाते है जहाँ इंसान आमतौर पर अपनी लाइफ के mean को ढूंढता है पर एक Existential Nihilist इससे भी एक कदम आगे चला जाता है और life के ही mean पर सवाल खड़ा करता है। उसके लिए life भी एक meaningless process है। उसके हिसाब से किसी भी चीज़ का meaning एक well thought idea नही बल्कि existence के कारण बना एक वेस्टेज है। There is nothing only void.
My Opinion on Nihilism
ये blog सिर्फ आपका ज्ञान बढ़ाने के लिए लिखा गया है इसमे लिखी बातें किताबो और इंटरनेट सोर्स की Summary है। ये मेरे बनाये विचार नही है, और न मैं चाहूंगा कि कोई और ऐसे विचार रक्खे क्यूंकि ऐसी सोच बेहद निराशावादी और व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को तोड़ देने वाली होती है। life का कोई mean न रह जाने पर इंसान डिप्रेशन मे भी जा सकता है।
Think Different About Same thing
Nihilism की शुरुआत होती है पुराने believes के खत्म होने से। जैसा कि हम जब समझ जानते है की ब्रम्हांड कितना बड़ा है और इस पूरे ब्रम्हांड में हम कितने छोटे, हमारे प्लेनेट जैसे और भी प्लेनेट होंगे जिनमे लाइफ होगी तो इस बात को गलत तरह से समझने पर एक व्यक्ति कभी-कभी ये सोचने लग जाता है कि हमारी इस universe मैं फिर importance ही क्या रह गई हममे कुछ भी स्पेशल नही है हमारा होना-न-होना किस काम का?
जबकि हमारे पूर्वज ये सोचते थे कि earth इस universe का center है और हमारे ज़िंदा होने की वजह से ही इस ब्रम्हांड का अस्तित्व है और महत्व है। यानी हमारे न होने पर इस universe को देखेगा भी कौन, इसका होना-न-होना किस काम का। यानी देखा जाए तो क्या असली गुनहगार हमारा ज्ञान है? क्योंकि जितना हम अपनी संस्कृति और spirituality से दूर होते जा रहे है उतना ही हमारे life में meaning या purpose कम होता जा रहा है हम हर चीज़ को facts के तराजू पर तोलते है और यही facts हमारे जीने की वजह को ही बेबुनियाद बता देते है।
आज की New generation अपने आपको एक athiest कहना superiority का symbol समझती है तो फिर क्यों नही गौरकर पा रही कि पहले लोगो के मुकाबले आज की generation ज्यादा दुःखी, हताश, stressed है, कोई तो कारण होगा। 🤔
mstt
ReplyDeleteBadhiya likha hai
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